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गर्मियों के दिन थे रात का माहौल था बड़े भैया घर पर नहीं थे वह किसी काम के सिलसिले से महीने भर बाहर काम के लिए गए थे इन दोनों भाभी बड़ी ही कामुक थे तो ऐसे में रात की तन्हाई उनको काटने ढूंढ रही थी तो उनकी नजर मेरे ऊपर पड़ी तो उन्होंने मुझे बुलाया घर पर प्यारी बातें की और दर्द सुनाया और मेरे हाथ पैर हाथ रखती है फिर मैंने भाभी को घोड़ी बनाकर के उनके मन की प्यास बुझाई आखिरकार कामवासना के आगे कुछ भी हो रिश्ता मायने नहीं रखता रिश्तो की वह मेरी बड़ी भाभी थी
द्वारा प्रकाशित Sukunmi